है क्षितिज पर छा गया आशाओं का इंद्र धनुष !
आंसू की इक बूँद धो गयी अंतरमन का कलुष !!
प्रायश्चित के सागर में अश्रु की एक बूँद गिरकर !
दनुज बन गए देव मानवता बना गयी मनुष्य !!तनुजा ''तनु ''
आंसू की इक बूँद धो गयी अंतरमन का कलुष !!
प्रायश्चित के सागर में अश्रु की एक बूँद गिरकर !
दनुज बन गए देव मानवता बना गयी मनुष्य !!तनुजा ''तनु ''
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