कुछ चतुष्पदियाँ शीर्षक '''जानवर '''
बने कोई ''तोता'' चश्म ,कहलाये कोई ''मृगनयनी '',
बन चले ''हंस'' की चाल , तो कोई है ''गजगामिनी'',
चतुर ''लोमड़ी'' चाल चले तो ''कोयल ''गाये रागिनी ,
मैं ''मयूर'' बन नाच उठूँ जब घन घन दमकी दामिनी......... तनुजा ''तनु ''
सर्प सिंह मृगचर्म का हो रहा व्यापार !
बिक रहे गजदंत भी भरे हुए हैं अगार !!
कपोल कल्पना ??नहीं बातें निराधार ………
इनसे ही तो हो रही मानवता शर्मसार !!! तनुजा ''तनु ''
मृत्युलोक से हो रहे सभी जानवर गुम !
भक्षण इनको कर रहे इंसा हम औ तुम !!
खो गए भूदेव अहरह भक्षण बचे खुर औ दुम ………
शूकर गाय ओ बकरी खाये भूल गये गंदुम !!!तनुजा 'तनु ''
बने कोई ''तोता'' चश्म ,कहलाये कोई ''मृगनयनी '',
बन चले ''हंस'' की चाल , तो कोई है ''गजगामिनी'',
चतुर ''लोमड़ी'' चाल चले तो ''कोयल ''गाये रागिनी ,
मैं ''मयूर'' बन नाच उठूँ जब घन घन दमकी दामिनी......... तनुजा ''तनु ''
सर्प सिंह मृगचर्म का हो रहा व्यापार !
बिक रहे गजदंत भी भरे हुए हैं अगार !!
कपोल कल्पना ??नहीं बातें निराधार ………
इनसे ही तो हो रही मानवता शर्मसार !!! तनुजा ''तनु ''
मृत्युलोक से हो रहे सभी जानवर गुम !
भक्षण इनको कर रहे इंसा हम औ तुम !!
खो गए भूदेव अहरह भक्षण बचे खुर औ दुम ………
शूकर गाय ओ बकरी खाये भूल गये गंदुम !!!तनुजा 'तनु ''
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