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Monday, May 19, 2014

मन बड़ा बावरा भटके दौड़े उलटे पाँव
मॉल में  माल है कर खरीदी छाँव छाँव

परमारथ क्यों करना स्वारथ मीठे ढोल
पीट पीट बजाइयो स्वारथ है अनमोल

मानुस ऐसा मरखना मच्छर मार टपकाए
मच्छर बेचारा उसको  डंक मार रह जाए

बुराइयों से जो पेट भरे उसको न रोटी भाये
अगर बुराई ना करे मरखना बैल बन जाए

आज यहाँ और कल वहां दौड़े खातिर पेट
लालच की आंधी चली करगयी मटियामेट

चबाये बोटी बेचे बेटियां बेच दिया ईमान
बद से बदतर हो गया आज का इंसान








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