आज अपने नहीं ............. गैर मिलते हैं !
बन के बैरी गले................ बैर मिलते है
गए दिन.......... नज़रों से सलाम भेजने के !
आएं ? न आएं.??…करके देर मिलते हैं !! तनुजा ''तनु ''
सवालों की दुनिया में घिरा हूँ निकालो मुझको ,
आज अपने नहीं सब ............. गैर मिलते हैं !!
क्यों इंतज़ार है … किसका है इंतज़ार मुझको ,
आएं ? न आएं.?? …करके देर मिलते हैं !!
एक वही है.... जिसका विश्वास है मुझको ,
फ़क्त साया ही है जिससे मेरे पैर मिलते हैं !!
आस .... … रिश्तों की सलामती की मुझको ,
क्या करूँ .... बैरी गले बन के बैर मिलते हैं !!
सांस में सांस है जीने की आस है मुझको ,
दोज़ख की बात न कर मदीना की सैर मिलते हैं !!
आ ही जाएगा वो इक दिन ये मालूम है मुझको ,
सफर आखिरी सलाम आखिरी करके सैर मिलते हैं !! …तनुजा ''तनु''
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