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Tuesday, May 20, 2014


 आज अपने नहीं ............. गैर मिलते हैं !

 बन के बैरी गले................  बैर मिलते है 

 गए दिन.......... नज़रों से सलाम भेजने के !

 आएं ? न आएं.??…करके देर मिलते हैं !! तनुजा ''तनु ''






  सवालों की दुनिया में घिरा हूँ निकालो मुझको ,

  आज अपने नहीं सब ............. गैर मिलते हैं !!

  क्यों इंतज़ार है … किसका है   इंतज़ार मुझको ,

  आएं ? न आएं.?? …करके देर मिलते हैं !! 

  एक वही है....  जिसका विश्वास  है मुझको ,

  फ़क्त साया ही है जिससे मेरे पैर मिलते हैं  !!

  आस  .... … रिश्तों की सलामती की मुझको ,

  क्या करूँ ....   बैरी गले बन के बैर मिलते हैं !!

  सांस में सांस है जीने की आस है  मुझको ,

  दोज़ख की बात न कर  मदीना की सैर मिलते हैं !! 

  आ ही जाएगा वो इक दिन ये मालूम है मुझको ,

  सफर आखिरी सलाम आखिरी करके सैर मिलते हैं !! …तनुजा  ''तनु'' 
   







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