फिर सुधियों के बादल संध्या के मन पर छाए !
खड़ी खड़ी सोचे नादान नयनन जल बरसाए !!
रजनी आई निशिनाथ बिन मन बोझिल हो जाए !
यादों का अमृत कलश छल छल छलकत जाए !!तनुजा ''तनु ''
खड़ी खड़ी सोचे नादान नयनन जल बरसाए !!
रजनी आई निशिनाथ बिन मन बोझिल हो जाए !
यादों का अमृत कलश छल छल छलकत जाए !!तनुजा ''तनु ''
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