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Wednesday, May 28, 2014

नमक ''समुद्र'' ''सांभर'' है , हर दिन सार.…  नवीन,
स्वेद से संसार है ,   वह भी है.……  नमकीन !
कठोर परिश्रमी बना देते ''समुद्र'' ''सांभर'' झील ,
''पुरुषार्थी'' पुरुष बिना जीवन …………  सारहीन !! तनुजा ''तनु ''

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