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Wednesday, May 21, 2014


 जान गया काया झूठी ,
 जान गया माया झूठी ,

जीवन बीता सिकुड़ा तन 
नहीं माता ना भाई है 
तेरे सोचे कुछ नाहीं है !!
बीते को विसरना जाने है ??
छोड़ काया आत्मा उठी
...  जान गया माया झूठी ,


क्या ?  रसातल तू जाने है ?

तू तो तल भी ना जाने है ,
हद सरहद में भूतल है !!
मुक्ता माणिक क्या जाने है ??  
कौन समझ सका गुत्थी .
... . जान गया माया झूठी ,


भटक जीव हद सरहद तोड़े ,
त्रिशंकु आत्मा जीव न छोड़े, 
शिव कंठ हलाहल है !!
रसना रसिक क्या जाने है ??
 भव भटकन बंधी फूंदी 
..... जान गया माया झूठी ,


जो पीव मिले सो जीव खिले ,
जग तोड़ के बंधन शिव मिले, 
हद सरहद के पार आत्मा !!
अनहद मस्ती क्या जाने है ??  
आया ये  बांधे मुट्ठी 
..... जान गया माया झूठी.... तनुजा ''तनु ''













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