जान गया काया झूठी ,
जान गया माया झूठी ,
जीवन बीता सिकुड़ा तन
नहीं माता ना भाई है
तेरे सोचे कुछ नाहीं है !!
बीते को विसरना जाने है ??
छोड़ काया आत्मा उठी
... जान गया माया झूठी ,
क्या ? रसातल तू जाने है ?
तू तो तल भी ना जाने है ,
हद सरहद में भूतल है !!
मुक्ता माणिक क्या जाने है ??
कौन समझ सका गुत्थी .
... . जान गया माया झूठी ,
त्रिशंकु आत्मा जीव न छोड़े,
शिव कंठ हलाहल है !!
रसना रसिक क्या जाने है ??
भव भटकन बंधी फूंदी
..... जान गया माया झूठी ,
जग तोड़ के बंधन शिव मिले,
हद सरहद के पार आत्मा !!
अनहद मस्ती क्या जाने है ??
आया ये बांधे मुट्ठी
..... जान गया माया झूठी.... तनुजा ''तनु ''
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