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Sunday, May 11, 2014

सुप्रभात!!! 

आये दिनकर सब  ग़म दूर कर गए ,
बोल तमचुर सब ग़म  दूर कर गए !
अरुणिम बेला के सुन्दर कलरव गीत ....  
नाम ईश्वर का हर ग़म दूर कर गए  !!! तनुजा ''तनु ''


काली रात सदा ही ग़म की ,
बातें करती है वो तम की !
जगमग करते आये दिनकर ,
दूर हो रात  तम की गम की !!! तनुजा ''तनु ''


कैसी ?? ऐसी कैसी कक्षा ये है ,
जहाँ बस्ते का काम नहीं है ! 
सारे बच्चे घूमते हैं रहते ,
एक!!! बैठने का काम नहीं है!!! तनुजा ''तनु'' 


सूरज ऐसा  न्याय करे है ,
उडगन उसके साथ चले है !  
तारे तो टिम-टिम ही करते, 
चंदा रूप बदल छुपता फिरे है !! तनुजा ''तनु ''


चन्दा की पाठशाला ....  अभिनय की , 
उदधि……  कुमुदिनी 'औ' चातक की ,
ये सारे हैं सुधाकर के साथी ……
सूरज के ....... अनुनय विनय की !!! तनुजा ''तनु ''


थाल तारों का लिये गगन ,चलता चला.…………चलता चला ,
लिए चाँद ,सूरज औ उडगन ,चलता चला  ………चलता चला !
है सुहानी प्यार भरी कहानी इस कायनात की, 
इन सबके साये में ये जहाँ ,पलता रहा…………… पलता रहा !!! तनुजा ''तनु ''

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