कैसा ये प्रभंजन अंधकार मय दिन हुए ,
बूंदों के आघात से पात-पात द्रवित हुए !
मेघ बरसे बरस कर ख़ण्ड- खण्ड़ हुए ,
छोटे छोटे पोखर भर कुण्ड - कुण्ड हुए !! तनुजा ''तनु ''
बूंदों के आघात से पात-पात द्रवित हुए !
मेघ बरसे बरस कर ख़ण्ड- खण्ड़ हुए ,
छोटे छोटे पोखर भर कुण्ड - कुण्ड हुए !! तनुजा ''तनु ''
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