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Friday, May 30, 2014


देह ताप आंसू झरै--- भौतिक ताप अनंग , 
अज्ञानी भटके जगत--- ज्ञानी चढ़ै न रंग !तनुजा ''तनु ''

मन मन भर के ---गज गज भर के ,
देखा सबको------ नयन भर भर के !
असली नकली------ नकली असली, 
धुले न पाप----- तिलक कर कर के !! तनुजा ''तनु''

ऐसी गठरी चाह की ---- बंधी रहे तो ठीक ,
मन मन फूला फूल है -- बहके मांगे भीख !!तनुजा ''तनु ''


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