Labels

Friday, May 2, 2014

दिन के सारे कर्मों का लेखा जोखा ले शाम ढली ,
सुखद क्षणों के मधु स्वप्न ले आज ये ऐसे चली ! 
भव  बंध से मुक्त हो मन उड़ चला आकाश में ,
यामिनी महकी रजनीगंधा सी नींद आँखोँ में पली !!  तनुजा ''तनु ''

No comments:

Post a Comment