दिन के सारे कर्मों का लेखा जोखा ले शाम ढली ,
सुखद क्षणों के मधु स्वप्न ले आज ये ऐसे चली !
भव बंध से मुक्त हो मन उड़ चला आकाश में ,
यामिनी महकी रजनीगंधा सी नींद आँखोँ में पली !! तनुजा ''तनु ''
सुखद क्षणों के मधु स्वप्न ले आज ये ऐसे चली !
भव बंध से मुक्त हो मन उड़ चला आकाश में ,
यामिनी महकी रजनीगंधा सी नींद आँखोँ में पली !! तनुजा ''तनु ''
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