थारी चाहत में रातां दुःख री कटे है;
हर बख्त लागे जाणे नश्तर डटे है !
अबार तक टीसे है ई जखम हरा है;
जुबां से मति पूछ या तो यूँज नटे है !
आज काल करूँ हूँ भरोसो काल नी ;
जिनगी ने देख या दर रोज घटे है !
जड़ सींचे तना पोषे फूलां से है बहार ;
रोज की मारा मारी हर जीव खटे है!
कसा भी ग़म वे बारे है जीवडो ;
यादां थारी मनवो भारी पूर पटे है !
कदी ''तनु'' याद ऊपरवाला ने कर ;
थारा से सुओ भलो राम राम रटे है !.. ''तनु ''
हर बख्त लागे जाणे नश्तर डटे है !
अबार तक टीसे है ई जखम हरा है;
जुबां से मति पूछ या तो यूँज नटे है !
आज काल करूँ हूँ भरोसो काल नी ;
जिनगी ने देख या दर रोज घटे है !
जड़ सींचे तना पोषे फूलां से है बहार ;
रोज की मारा मारी हर जीव खटे है!
कसा भी ग़म वे बारे है जीवडो ;
यादां थारी मनवो भारी पूर पटे है !
कदी ''तनु'' याद ऊपरवाला ने कर ;
थारा से सुओ भलो राम राम रटे है !.. ''तनु ''