आंख्या मूंदी रात दन सोओ हो कई;
चौमासा में बात बिन रोओ हो कई !
जिंदगी रा आरसी रे सामे;
हारी ने आंख्या भिगोवो हो कई !
अचानक खुली जावे बारणा तो ;
यादां री गांठड़ी आज भी ढोवो हो कई !
उतर ग्यो पाणी अबे उतार है ;
दरदां रा आंगणा थें धोवो हो कई !
काल सुदी जो सीख्या आप था ;
भूली जावो भलो है सुओ हो कई !
थोड़ी डालां है ने थोड़ी वेलडी ;
दिलां में लो संजोई वावो हो कई !
सन्नाटो कसो पसर्यो काली रातां में ;
चालो शबनमी मोती पोवो हो कई !
एक ''तनु ''देखि सुणी ने कई नी बोले
फालतू री वातां से होणो हो कई !!... ''तनु ''
No comments:
Post a Comment