कैसो यो सिणगार है, बोले मिरगा नैण!
थारा बंद होठां से , घणा करे तू बैण !!
घणा करे तू बैण , फेर खोय जावे कठे ?
ढूँढूँ मैं दिन रैन, रे थने अठे ने वठे ??
आंख्या ली सुजाय, लग्यो धपडको ऐसो,
कठे रे लागि लाय, है सिणगार यो कैसो !!.. ''तनु''
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