चलनी में अब रह गयी, कैसी मानव जात !
नीचे छानन जा गिरा , खाये घूँसे लात !!
प्रीत निभावे छूरियाँ , बात करें बंदूक !
दुनिया बदली देखते, जी में उठती हूक !!
प्रीत निभावे छूरियाँ , बात करें बंदूक !
दुनिया बदली देखते, जी में उठती हूक !!
सारा खेल है कुर्सी , बड़ा बुरा ये रोग !
फिर कभी नहीं पायगा इस जन्म ले भोग
आप आप में उलझिये,रहे सेंक हम रोट !
यही सियासी पैंतरे , खूब बनाते नोट !!
यही सियासी पैंतरे , खूब बनाते नोट !!
छुपी सभी नाक़ामियाँ , परदे पीछे साँच !
चूल्हे ऊपर खिचड़ी, पकती है बिन आँच !!
शीश ढकते पैर खुले, आफत में है जान !
चूल्हे ऊपर खिचड़ी, पकती है बिन आँच !!
शीश ढकते पैर खुले, आफत में है जान !
गरीब के दुःख थेगले, हैं पैबंद निशान !!
कौन देखता चेहरा , छुपा पीछे नकाब !
लगाते सारे एक से, बडा सुर काँव काँव !!
लगाते सारे एक से, बडा सुर काँव काँव !!
सत्य छुपता नहीं कभी, उसमें नाही खोट !
राख रही चिनगारियाँ, सूरज बादल ओट !!
बंधन बाँधू प्यार के , ले भावों के बंध !
जनम जनम शुभकामना, रिश्तों की सुगंध !!
राखी सिर्फ सूत नहीं, नहीं नाम परिहास !
राख रही चिनगारियाँ, सूरज बादल ओट !!
बंधन बाँधू प्यार के , ले भावों के बंध !
जनम जनम शुभकामना, रिश्तों की सुगंध !!
राखी सिर्फ सूत नहीं, नहीं नाम परिहास !
निर्मल मन मुक्ता धरे, सागर सा अहसास !!... 'तनु'
No comments:
Post a Comment