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Saturday, August 26, 2017
नाक
नाक
दबी तो मुँह खुला, सिकुड़ गयी भौं नाक ;
नाकों दम करते रहे,
कर्म थे
शर्मनाक !
कर्म थे
शर्मनाक,
नाक रगड
ते
ये नहीं ;
ऊँची रखते नाक, मक्खी भी बैठे
नहीं !
खोय नाक की सीध, ढूँढ़ते हैं कटी नाक ;
बुझा नाक का दीप, नीची होती है नाक !... ''तनु''
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