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Wednesday, August 9, 2017

मन मिश्री



मन मिश्री मुख मृदुल मनोहर,
चंचल नयन तन पुलकित होकर!!
मनोयोग से ''खीसा'' करे खाली , 
पति हारे रहे  ''खीसे निपोर''कर !!''तनु ''


मन  मिश्री  मुख  मृदुल  मनोहर ,
बातें कड़वी.....वस्त्र धवल धोकर !
मुंह बोले राम बगल बीच छुरी ,,,,,
हैं ठाठ शाही …   कहलाते नौकर !!!''तनु ''

मन मिश्री मुख मृदुल मनोहर
खाएं सलाद ,,आटे संग चोकर
काया घटाएं ये ''गोल मटोल'' सी
चल आएं ''तंग गली' से होकर
'' तनु ''

मन मिश्री मुख मृदुल मनहर,
हमरे ऐसे कुञ्ज बिहारी मधुकर !
छुन छुन पैजनी बाजति दौड़त  ,
उत लिपटयो दधि मुख सुखकर !! '' तनु ''

मन मिश्री मुख मृदुल मनोहर,
सपन देखते ओढ़कर दोहर
 मन की कैसे होगी पूरी 
नोहर१  मिले खोकर नोहर २ '' तनु ''

नोहर१ अनोखा, नोहर२ आलस्य 

मन मिश्री मुख मृदुल मनोहर,
गावत गान सखियाँ सोहर 
कब कान्ह मुख बोलि सकेंगे 
मीठी मीठी बोली बोलि  तोतर '' तनु ''

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