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Monday, August 7, 2017

रंग ले आऊँ




मैं जब भी
रंग ले आऊँ
तुम मुझे
मना मत करना
मुझे पता है 
ये सब मुझे 
 तुम्हे और सबको
 बहुत अच्छा 
लगता है,...  है ना !!!
सब जानते हैं 
पतझड़ के बाद 
आएगा बसंत
कोंपलें तो फूटेंगी ही 
पर!!! ,, पर तुम 
 मुस्कुराना 
टहनी के सिरे पर 
कुछ नाजुक से
 भीगे से 
एहसास छोड़ 
कर जाना 
 मैं समझ लूँगा 
कि तुम्हारी 
अभिलाषाएँ बुलाती हैं
 मुझे उन 
कोंपलों को 
फूटने में 
पता है फिर 
पात पात सृजित 
फिर
टहनी टहनी 
शोभित हरे हरे  
वसन से 
और फिर फूलों 
की बहार 
महकता समां 
अच्छा लगता है
 मुझे 
तुम्हे और सबको  ,,, ''तनु ''









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