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Friday, August 18, 2017







नज़र ढूँढे हामिद को, लटक गयी है खाल !
पडोसी पूछते यही, कह!!...है ?? तेरा लाल !!

नज़र ढूँढे हामिद को,   ईदगाह की राह !
मुरादों के पंख लगे,  ले विदेश की चाह !!

अकेले अकेले रहे,     लिखा यही था भाल !
दो दिन की ये जिंदगी,    बीतती है मलाल !!

एक लड़ाई जिंदगी,      जीवन है जंजाल !
मैं निरीह लड़ती रही, आखिर मे कंकाल  !!

आस गयी दीपक बुझे, पलकें रही निहार !
माँ बेटे के प्यार का,   उजड़ गया संसार !!

तुझको मुझसे आस थी, जब थे नन्हे पाँव !
जब उमर लाचार हुई , छोड़ गया तू गाँव !!

 तेरे रंगी सपन थे,   चाहत रही उड़ान !
 कभी तेरे सपन लिए ,ली मैंने मुस्कान !!

 रहे सरसों से बिखरे ,          छूटे दाने हाथ ! 
 बाँह पकड़ जिनकी चले, छूटा उनका साथ !!... ''तनु''







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