नज़र ढूँढे हामिद को, लटक गयी है खाल !
पडोसी पूछते यही, कह!!...है ?? तेरा लाल !!
नज़र ढूँढे हामिद को, ईदगाह की राह !
मुरादों के पंख लगे, ले विदेश की चाह !!
अकेले अकेले रहे, लिखा यही था भाल !
दो दिन की ये जिंदगी, बीतती है मलाल !!
एक लड़ाई जिंदगी, जीवन है जंजाल !
मैं निरीह लड़ती रही, आखिर मे कंकाल !!
आस गयी दीपक बुझे, पलकें रही निहार !
माँ बेटे के प्यार का, उजड़ गया संसार !!
तुझको मुझसे आस थी, जब थे नन्हे पाँव !
जब उमर लाचार हुई , छोड़ गया तू गाँव !!
तेरे रंगी सपन थे, चाहत रही उड़ान !
कभी तेरे सपन लिए ,ली मैंने मुस्कान !!
रहे सरसों से बिखरे , छूटे दाने हाथ !
बाँह पकड़ जिनकी चले, छूटा उनका साथ !!... ''तनु''
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