Labels

Friday, August 4, 2017

आभार


बहुत आशीष  आपके, नीर नदी की चाह !
लखने में मसि यूँ  लगे , मिलती जाए राह !!.. तनु 

आभार वास्ते नहीं,      सबद हमारा पास !
मैं पाऊं आसीस नित, हिय री असी आस !! तनु 

घणा आसीस आप रा ,    नीर नदी री चाह !
लिखवा में मसि ज्यूँ लगे, मिलती जावै राह !! तनु 

असीस से यो आँगणों ,नित महकतो जाय !
खुशबू चारी मेर है ,  मन मण झुक्यो जाय !! तनु 

बोली ''बोली'' मालवी,  मीठो मन वे जाय !
मीठी बोली मालवी ,   मनवा से नी जाय !!.. तनु 

मान आपरो है घणो , मिल्यो है आसीस,
नेह बणाया राखजो , नित पाऊँ आसीस,. तनु 

No comments:

Post a Comment