बहुत आशीष आपके, नीर नदी की चाह !
लखने में मसि यूँ लगे , मिलती जाए राह !!.. तनु
आभार वास्ते नहीं, सबद हमारा पास !
मैं पाऊं आसीस नित, हिय री असी आस !! तनु
घणा आसीस आप रा , नीर नदी री चाह !
लिखवा में मसि ज्यूँ लगे, मिलती जावै राह !! तनु
असीस से यो आँगणों ,नित महकतो जाय !
खुशबू चारी मेर है , मन मण झुक्यो जाय !! तनु
बोली ''बोली'' मालवी, मीठो मन वे जाय !
मीठी बोली मालवी , मनवा से नी जाय !!.. तनु
मान आपरो है घणो , मिल्यो है आसीस,
नेह बणाया राखजो , नित पाऊँ आसीस,. तनु
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