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Sunday, August 20, 2017
लेखन की उनको रही, बड़ी अनोखी चाह !
जब तब लिखा ही करते, पकड़ कलम की बाँह !!
पकड़ कलम की बाँह, कागज के कज्जल करे !
मनन में अति उछाह ज्योँ रीते घट जल भरे !!
कौन कहे कविराय, लिखी पोथी देखन की !
दनादन हैं कमाय, लागी लगन लेखन की !! ,,...'तनु'
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