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Tuesday, August 29, 2017



ओढ़ चादर बादल की,  सारे तारे सोय !
इत बदरिया भू  ढूँढे,   रोकर आँसू खोय !!

ओढ़ चादर बादल की ,        सारे तारे सोय!
इक बदरिया ढूँढे शशि,   रोकर आँसू खोय !!

बादलों लिखी चिट्ठियाँ ,  पवन हाथ पैगाम !
बिजुरिया के हरकारे ,    बारिश है अंजाम !!

गले लगाये  बिजुरिया,    ले बाँहों के हार ! 
बादलों की मनमानियाँ,  घुमड़ करे श्रृंगार !! 

अब सौतनिया पवन का, बढ़ने लगा उत्पात !
 बिजुरी की मनमानियाँ, उसको नहीं बर्दाश्त !!... ''तनु ''

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