ओढ़ चादर बादल की, सारे तारे सोय !
इत बदरिया भू ढूँढे, रोकर आँसू खोय !!
ओढ़ चादर बादल की , सारे तारे सोय!
इक बदरिया ढूँढे शशि, रोकर आँसू खोय !!
बादलों लिखी चिट्ठियाँ , पवन हाथ पैगाम !
बिजुरिया के हरकारे , बारिश है अंजाम !!
गले लगाये बिजुरिया, ले बाँहों के हार !
बादलों की मनमानियाँ, घुमड़ करे श्रृंगार !!
अब सौतनिया पवन का, बढ़ने लगा उत्पात !
बिजुरी की मनमानियाँ, उसको नहीं बर्दाश्त !!... ''तनु ''
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