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Sunday, August 6, 2017

सावण में नखरा





वायरो चाले तो वगीचो भी चावे है !
फुँवारा गुनगुनावे रुँख भी गावे है !!

सावण में नखरा कींका नी चाले !
सजनी जी रूठे सजण मनावे है !!

कदि वे विजळी री आँख मिचोली !
शीतल है मौसम मोर भी नाचे है !!

मिह वरसे तो झूम गयी धरती भी ! 
करसाण ख़ुशी से बिजवारो वावे है !! 

नुती ने लाया घणा दन में बरखा !
खुशी लावे असो हरकारो आवे है !!

बलिहारी प्रभु थारी लीला है न्यारी !
शिव आवे साथे पारबती ने लावे है !!... ''तनु ''

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