सच्चे सौदे ने लिए, झूठे डेरे डाल ;
भक्त बनाये बहुत हैं, पहनाकर जयमाल !
पहनाकर जयमाल, लूटते भोले जन को ;
करवाते हैं काम , जो नहीं भाते मन को !
फैला माया जाल , गच्चे खा जाय अच्छे ;
चले भ्रम की राह , धोखा खा रहे सच्चे !!... ''तनु''
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