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Sunday, August 27, 2017

खफा है





मीत तू क्यों कर खफा है ;
कब निभाई मैंने जफ़ा है !

हो गयी तुमसे मुहब्बत ;
तुम कहते कितनी दफा है !

दिल यही है पूछता बस ;

मायने क्या    बे-वफ़ा है !

आँख में छाई घटा है ;

बरस गयी है बा-वफ़ा है !

क्या तुम्हें मालूम भी कुछ;

जो खरा है वो तपा है !

 ऐसा चारागर है मेरा;
दे जहर कितनी दफा है!

चल बैठें अब छाँव मितवा ;
कुछ लिखूँ  कोरा सफा है !

देख मौसम गा रहा कुछ ;
''तनु'' अब मरने में नफ़ा है !...''तनु''

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