मीत तू क्यों कर खफा है ;
कब निभाई मैंने जफ़ा है !
हो गयी तुमसे मुहब्बत ;
तुम कहते कितनी दफा है !
दिल यही है पूछता बस ;
मायने क्या बे-वफ़ा है !
आँख में छाई घटा है ;
बरस गयी है बा-वफ़ा है !
क्या तुम्हें मालूम भी कुछ;
जो खरा है वो तपा है !
ऐसा चारागर है मेरा;
दे जहर कितनी दफा है!
चल बैठें अब छाँव मितवा ;
कुछ लिखूँ कोरा सफा है !
देख मौसम गा रहा कुछ ;
''तनु'' अब मरने में नफ़ा है !...''तनु''
चल बैठें अब छाँव मितवा ;
कुछ लिखूँ कोरा सफा है !
देख मौसम गा रहा कुछ ;
''तनु'' अब मरने में नफ़ा है !...''तनु''
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