आँख मूंदे रात दिन सोता है क्या ;
जिंदगी तनहा कहीं खोता है क्या ;
बारिशों में बात बिन रोता है क्या !
जिंदगी के आइने के सामने ;
हारकर यूँ आँखें भिगोता है क्या !
हाँ अचानक खुल गया दर जो कभी ;
पूछूँगा भार यादों के ढोता है क्या !
उतर चला पानी फिर बाद बाढ़ के ;
दर्द के आँगन हैं तू धोता है क्या !
कल तलक सीखा हुआ खो जाएगा ;
भूलकर होगा भला तोता है क्या !
बेल औ कुछ फूल शाखों बच गये ;
कुछ निशानी दिल में ले बोता है क्या !
सन्नाटा पसरा कयामत का फ़ज़ा में;
कोई शबनम के मोती पोता है क्या !!
एक तनु देख सुन कर कहती नहीं ;
फ़ालतू की बात से होता है क्या !! ... ''तनु ''
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