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Wednesday, August 16, 2017
ठौर
सलीब पर सिर्फ तुम ही नहीं और भी हैं ,
हँसी लबों से ग़ुम, ग़मगीं नहीं गौर भी है !
मंदिर मस्जिद या कि हो गुरुद्वारा यहाँ , ,,
कहाँ जाऊँ कौ जाने मेरा कहीं ठौर भी है !!.. ''तनु ''
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