पाप
करनी जो जैसी करे, वैसा ही फल पाय
मन मंदिर इन्साफ का , सदा करे है न्याय !
सदा करे है न्याय ! कभी पाप छुपता नही !
शीश चढ़ करे बोल , चाहे मनु बोले नहीं !!
रहे सभी समुझाय , भली रख अपनी भरनी !
फल मीठा क्या खाय, जिसकी बुरी है करनी !!
धुला ना कोई दूध का , सबमें पाप समाय !
छोटे बड़े दुष्कर्म में, अनचाहे फँस जाय !!
अनचाहे फँस जाय, कभी ये होय सूझते !
अनजाने हो जाय , कैसे ये राह बूझते !!
करो ईश को याद, स्वच्छ कर आँगन धुला !
मत कर तू फरियाद, रख मन का द्वार खुला !!,,, तनु
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